मुंबई की आतंकी घटना ने क्षेत्रवाद और भाषावाद की राजनीति करने वाले नेताओ के मुह पर एक जोरदार तमाचा मारा है .अब तक राज ठाकरे ने अपने घर से निकल कर कोई बयान नही दिया और न ही महाराष्ट्र में क्षेत्रवाद की राजनीति के अगुआ बाला साहब ठाकरे ने ही कोई दहाड़ लगाई.ये माना जा सकता है की बाला साहब अब बूढे हो चले है, दहाड़ लगाने में असमर्थ है लेकिन गरम खून वाली नव निर्माण मराठी सेना कहा चली गई ,वह क्यो नही आतंकियों का सामना करने के लिए अपने बिलों से बहार आई .नव निर्माण सेना के बांकुरों को पता है की आतंकी कोई भोले भाले बिहारी नही है जिनपर आसानी से डंडो से हमला कर के उनको डराया जा सके .आतंकी तो खालिस क्रूर विदेशी है जो आधुनिक हथियारों से लैस है ,जिनसे नव निर्माण सेना के टट्टू पार नही पा सकते .इनके बस का नही था आतंकियों से लड़ना ।
इन आतंकियो से तो हमारे जाबांज सिपाहियों ने लोहा लिया और इनको मार गिराया .राज ठाकरे को ये जान लेना चाहिए की जिस मुंबई को वह सिर्फ़ अपना बताते है ,उस मुंबई की रक्षा वो जाबांज सिपाही कर रहे थे जो भारत के भिन्न राज्यों से आते है .वे पुरे भारत से आते है .जी हा जाबांज सिपाहियो में कोई यू पी का था कोई दिल्ली का कोई उत्तराखंड का तो कोई कर्नाटका का .इन सिपाहियों के मन में तो ये था की ये हमला केवल मुंबई पे नही वरन पुरे भारत पर था .लेकिन राज ठाकरे को तो ये लगता है की मुंबई तो आमची है .राज ठाकरे को तो अब ये जान लेना चाहिए की मुंबई आमची नही सबकी है .क्योकि ये भारत की राजधानी है ,जो पूरे भारत के लोगो के लिए एक रोजगार का केन्द्र है .भिन्नता में एकता ही भारत की विशेषता है .इस एकता को तोड़ो मत राज बाबा .हमारी तो एक ही नागरिकता है की "हम सब भारतवासी है ."
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
3 टिप्पणियां:
इसे पड़ तो भुत पहले लिया था लेकिन तारीफ आज ही कर रहा हूँ
देर से ही सही आख़िर आना तो पड़ा ही न हमारे साथ
बहुत अच्छा लिखा.
क्या आपको लगता है कि दूसरा पाकिस्तान नही बनेगा. ६२ साल किसी इन्सान के लिए लंबा समय होता है देश के लिए नही. फिर जब बंटवारा होगा तो कोई अली खान उसका समर्थन ही करेगा. ऐसा नही है कि सभी ने समर्थन किया हो पर बंटवारा तो हुआ. विरोध हुआ था क्या. आप अगले २५ साल में देख लीजियेगा. अभी देश कि राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक सभी कि हालत ख़राब है.
bahut achchhe!!!!!!!!!!!
एक टिप्पणी भेजें