गुरुवार, 18 दिसंबर 2008

मौत...

मौत को आज मैंने जाना है,
और जीवन को भी पहचाना है।

ज़िन्दगी है अगर कोई संगीत,
तो मौत मस्ती भरा तराना है।

ज़िन्दगी दर्द का समुन्दर है,
तो मौत खुशिओं भरा खजाना है।

मौत ही मंजिले मुसाफिर है,
पर ज़िन्दगी का भी गम उठाना है।

जाने क्यूँ मौत से हम डरते हैं,
ये तो कुदरत का एक नजराना है।

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

जाने क्यूँ मौत से हम डरते हैं,
ये तो कुदरत का एक नजराना है।

--बहुत उम्दा-सत्य वचन.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

उम्‍दा काव्‍य प्रस्‍तुति मौत का क्‍या वह तो जीवन का एक अंग है जब जन्‍म लिया तो मौत से डर क्‍यूँ

महाशक्ति

Adhinath ने कहा…

wah ray sahab ............
aapka angan achha laga.
maut ko aapne jana and pahchana..........i think aapne bahut jald asaliyat pahichan li hai.........
Thats good.

तीसरा कदम ने कहा…

सही कहा अपने ...
मौत कुदरत का नजराना भी है और इसे अपनाना भी है.