बुधवार, 17 दिसंबर 2008

रब ने नही बनाई जोड़ी

लगभग एक महीने से मै ''रब ने बना दी जोड़ी''फ़िल्म के दो गाने ''हौले हौले हो गया है प्यार ...''और ''तुझमे रब दीखता है ...''सुन रहा था ,मुझे दोने गाने बहुत अच्छे लगे , फ़िल्म १२ दिसम्बर को रिलीज़ होनी थी .मैंने सोच लिया था भले ही पहले दिन का पहला शो न देख पाऊ लेकिन पहले दिन जरूर देखूँगा । लेकिन मेरा दुर्भाग्य रहा की मै लगातार तिन दिन सिनेमा हॉल गया लेकिन मुझे टिकेट नही मिला .मै हर बार मायूस होकर वापस लौट आता था । मेरा लाइन में खड़ा होना बेकार चला जता था क्योकि मेरे टिकेट खिड़की तक पहुचने से पहले ही हाउसफुल का बोर्ड लग जाताथा । । मुझे तीन तक टिकेट नही मिला इससे मै और पुख्ता हो गया की फ़िल्म अच्छी है । अखबारों और चैनल में फ़िल्म की सकारात्मक प्रतिक्रिया आ रही थी । मेरी बेक्लाहत और भी बढती जा रही थी । मेरेइस बैचनी को मेरे मित्र भी जान गए थे .मैंने भी अपने आप को समझाते हुए तय किया की जब थोडी भीड़ कम होगी तो ही मै जाऊँगा । तीन दिन की मायूसी के बाद चौथे दिन मेरे लिए एक आशा की किरण जगी,जब मेरे एक मित्र ने करीब सवा दो बजे केबीच मुझे फोन किया की मै ज्योति टाकिज पे खड़ा हूँ ,तुम्हे भी तीन बजे के शो का टिकेट चाहिए क्या ?मेरे चेहरे पे एक मुस्कान आई और मैंने तुंरत हामी भर दी और तुंरत सिनेमा हाल की तरफ़ बढ़ गया।


अब मै आपको वह वाकया बताने जा रहा हूँ जिसके कारन मुझे अपने लेख का शीर्षक ''रब ने नही बनाई जोड़ी ''रखना पड़ा । सिनेमा हाल ,मै थोड़ा लेट से पंहुचा मेरे मित्र अन्दर जा चुके थे । हाल के अन्दर गार्ड टार्च जलाकर लोगो को अपने सीट पे बैठा रहा था ५ minat की फ़िल्म चल चुकी थी ,मेरे मित्र अभी हाल के अन्दर ही थे मै पंहुचा । गार्ड हम लोगो को भी बैठाने लगा । दुर्भाग्य से हम दोस्तों में , चार लड़के और दो लड़किया थी ,मेरे दो पुरूष मित्र अपने अपने महिला मित्रो के साथ अगल बगल बैठ लिए । बच गया मै और मेरे एक पुरूष मित्र । संयोग से गार्ड ने मुझे जिस सीट पे बैठने को कहा उसके बगल मेरे एक खूबसूरत लड़की बैठी थी मै भी बिना किसी संकोच के बैठ गया लेकिन जब बगल मेरे कोई खूबसूरत लड़की हो तो क्या फीलिंग होती है ये सब बखूबी जानते ही होगे । लेकिन मेरे पुरूष मित्र को ये थोड़ा अच्छा न लगा और उनकी अन्दर की भावना जुबान पे आ ही गई और उन्होंने मुझसे कह ही दिया की यार मुझे वहा बैठना था तू बैठ गया ,मैंने भी उनकी बात को मजाक बनाते हुए कहा की कोई बात नही यार तू बैठे या मै एक ही बात है ... ये तो पुरूष स्वभाव है की जब कोई खूबसूरत लड़की बगल मै बैठी हो तो आदमी थोड़ा स्मार्ट बनने की कोशिश करता ही है । हालाँकि मेरे अंदर भी एक हलचल थी लेकिन मैंने स्मार्ट बनने की कोशिश नही की । मेरे बगल , कोई अनजानी लड़की बैठी हो ये वाकया मेरे साथ पहली बार था इसलिए मै थोड़ा असहज था । मैंने सैकडो फिल्म सिनेमा हाल मै देखि है लेकिन ऐसा पहली बार था जब कोई खूबसूरत लड़की मेरे बगल मै बैठी हो । मै थोड़ा असहज हो गया ,पता नही क्यो ?लेकिन फ़िल्म रब ने बना दी जोड़ी की कहानी ज्यो-ज्यो आगे बढ़ रही थी मेरे अन्दर भी एक अजीब सा भाव उत्पन्न हो रहा था। मेरा मानना है की ऐसा अक्सर लोगो के साथ होता है जब कोई अनजान खूबसूरत लड़की बगल में बैठी हो तो वह थोड़ा असहज हो ही जाता है .मामला तब और दिलचस्प हो जाता है जब आप बैठे हो , आपका हाथ या पैर उसके हाथ या पैर से छू जाए । मैंने कई फिल्मो में देखा है की ट्रेन की मुलाक़ात ,किसी जगह की मुलाक़ात या कही भी अचानक हुई मुलाक़ात से हीरो और हेरोइन में प्रेम हो जाता है ,और फ़िल्म के समाप्त होने तक दोनों का प्रेम सफल भी हो जाता है । मेरे अन्दर भी उसी तरह की भावना उफान करने लगी ,हालाँकि मै शुरू में उस लड़की को ठीक से नही देख पाया लेकिन ये जान गया था की वह खूबसूरत है। जब मैंने अपना हाथ सीट के हत्थे पे रखा तो मेरा हाथ उसके हाथ से छू गया ,मुझे तो कुछ अजीब सा अनुभव हुआ ,जैसा की अमूमन लड़किया करती है उसके विपरीत उस लड़की ने अपना हाथ नही हटाया .शायद उसको इस बात का अहसास न हो या ये उसके लिए बड़ी बात न हो । लेकिन मेरे मन में तो उथल पुथल लगी । शायद मुझे फिल्मो की बात उस समय सत्य लगी। ज़ाहिर सी बात है की जब इस तरह का अहसास मन में होने लगे तो मूल बातो से मन भटक जाता है । मेरे हाथ और उसके हाथ जाने अनजाने में टकरा जा रहे थे ,मेरा ध्यानफिल्मो से थोड़ा हटता जा रहा था ,तभी फ़िल्म का लोकप्रिय गीत हौले हौले हो जाए रे प्यार ...शुरू हो जाता है मेरे मन ने भी यही सोचा की शायद हमारा प्यार भी कही इसी सिनेमा हाल में हौले हौले शुरू हो जाए ,और मुझे भी कहना पड़े की ''रब ने बना दी जोड़ी ''। फ़िल्म अपने गति से बढ़ रही थी और शाहरुख़ अपने दोनों किरदारों को बखूबी निभा रहे थे । इंटरवल तक हमारे पैर भी एक बार टकरा गए और हम दोनों ने सॉरी कहकर अपने को बचाया । फ़िल्म के बीच बीच में मेरी नज़र उस खूबसूरती की तरफ़ घूम जा rअहि थे पर स्पष्ट चेहरा दिख नही पा रहा था क्योकि हाल में अँधेरा था । कुछ समय के लिए मै फ़िल्म में ही खो गया तो मै ने थोडी सी फ़िल्म को समीक्षात्मक रूप में देखने की कोशिश की , फ़िल्म को देखकर मुझे ॐ शान्ति ॐ की याद आ गई ,उसमे भी एक गाने में फरहा खान ने कुछ बड़े स्टार्स को लाकर नचाया था और इस फ़िल्म में भी आदित्य चोपडा ने कुछ बड़ी हेरोइनो को नचाया , फ़िल्म के एक गाने पुराणी फिल्मो के गाने को तोड़ मरोड़ कर बनाया गया था , इससे लगता है की अब फिल्मो में नए विचारों का अकाल सा होता जा रहा है वही पुराणी घिसी पीती कहानिया दर्शको को परोसी जा रही है ,हालाँकि ''रब ने बना दी जोड़ी ''को आदित्य ने थोड़ा अलग रखने की कोशिश की है । शाहरुख़ ने एक मध्यम वर्ग के कलर्क का रोल करने में भी वही पुराना टाइप्ड तरीका अपनाया ,शाहरुख़ की प्रतिभा पे शक नही किया जा सकता ,लेकिन अगर आदित्य ने उभरती प्रतिभा श्रेयश तलपडे को ये रोल देते तो और मज़ा आता । मैंने वेलकम तू सज्जनपुर में उनके अभिनय को देखा है ,लाजवाब था ।
तभी इंटरवल होता है और हाल की लाइट जलती है मुझे एक मौका मिला की मै उस खूबसूरती को गौर से निहार सकू । मेरी नज़र सहसा उसकी तरफ़ चले गए ,उसने भी बिना भाव के एक नज़र मेरी तरफ़ देखा ,पर तुंरत अपने साथ आई सहेलियों से बात करने लगी । इंटरवल में , मेरे बगल में बैठे मेरे पुरूष मित्र अब भी मुझे कोसने से न चुके । खैर मै तो दूसरी दुनिया में विचरण कर रहा था ,और इस मुगालते में था की ''रब ने बना दी जोड़ी ''। इंटरवल के बाद फ़िल्म शुरू होती है ,कुछ देर बाद शाहरुख़ अपने दुसरे किरदार ''राज''के रूप में गाना गाते है की ''तुझमे रब दीखता है''...जिसमे मै खो गया और मुझे भी कुछ ऐसा ही अहसास हुआ । फ़िल्म का ये गाना मेरे दिल को छूता है । फ़िर कुछ प्रेम संवाद फ़िल्म में चलते है पुरा हाल बड़े ध्यान से सुन रहा है और मेरा ध्यान अब भी फ़िल्म के नाम ''रब ने बना दी जोड़ी ''पे टिका है। मुझे ऐसा लगने लगा की फ़िल्म मेरे अन्दर उतर रही है और फ़िल्म की नायिका तानिया (अनुष्का ) मेरे बगल में बैठी हो । लेकिन मेरे साथ फ़िल्म के एक और कलाकार विनय पाठक जैसा दोस्त नही है । फ़िल्म धीरे धीरे समाप्त हो रही थी ,मै भी फ़िल्म चुप चाप देखता रहा और कभी कभी हाथ और पैरो के छू जाने पे असहज होता रहा । फ़िल्म तो अपने सकारात्मक क्लैमेक्स की तरफ़ जा रही थी ,लेकिन मेरे क्लैमेक्स का पता नही था । शाहरुख़ अपनी हेरोइन तानिया को अपने मूल किरदार (सुरिंदर सहनी ) के रूप में पाने में सफल हो रहे थे । तानिया ने अमृतसर के स्वर्ण मंदीर में सुरिंदर सहनी के चेहरे में ही अपने रब को देखा ,''राज'' (फ़िल्म में शाहरुख़ का दूसरा किरदार ) का प्रेम उसके लिए झूठा प्रतीत होने लगा । देखते ही देखते फ़िल्म समाप्त हो जाती है लाइट जलती है , मेरे बगल में बैठी वो खूबसूरत लड़की तुंरत उठती है और अपने सहेलियों से जोर जोर से बात करते हुए बालकनी से निचे उतारते हुए बाहर जाने लगती है , मेरा दाहिना हाथ अब भी सीट के हत्ते पे ही टिका है ,तभी मेरे पुरूष मित्र मेरा बाया हाथ पकड़कर मुझे चलने को कहते है और मै हाल से बाहर जाती उस खूबसूरती को निहार रहा था । हाल में ढाई घंटे कैसे बीते पता ही नही चला । फ़िल्म में शाहरूख की जोड़ी तो रब ने बना दी लेकिन मेरी जोड़ी रब ने नही बनाई । और फ़िल्म के शुरू में मुझे जो अहसास हुआ था की ''रब ने बना दी जोड़ी ''वह फ़िल्म के अंत में काफूर हो गया ,और मेरे मुह से निकला की ,,''रब ने नही बनाई जोडी '' प्यार को कैसे आगे बढाया जता है ये मुझे मालूम नही ,और न ही मैंने किसी से वेलेंटाइन प्रेम किया है इस मामले में मै बिल्कुल गवार हूँ। इसी लिए शायद ये नही जान पाया की पिकनिक स्पॉट ,ट्रेन बस की यात्रा ,रास्ते में किसी से मुलाक़ात,या सिनेमा हाल में जब किसी से आँखे चार होती है तो वह kshan भर के लिए ही होती है । इसकी मियाद सिर्फ़ उसी समय के लिए ही होती है ,जैसा की मेरे साथ हुआ ।

8 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

फ़िल्म तो बहुत शानदार है इसमें कोई शक नहीं पर आपकी कहानी पर भी एक फ़िल्म बनायी जा सकती है! क्या कहते हैं?

Ajeet Singh ने कहा…

Are dost mujhe malum hi nahi tha ki aap "Rab Ne Bana Di Jodi" mein apni jodi banane ki koshish kar rahe the. Main to aap ke bagal mein hi baitha tha. Aapne ek baar apne dil ki baat to mujhse kahi hoti, main yathasambhav aapki jodi banawane ki koshish karta. Khair koi baat nahi,better luck next time.. Agar mujhe mauka mila to main aapki is kahani pe koi film zaroor banaunga, kasam se ek zabardast blockbuster film banegi.
Likhte Rahiye..

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

nice post

मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है- आत्मिवश्वास से जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो इसे पढें और प्रितक्रिया भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

अंकुर गुप्ता ने कहा…

"kasam se ek zabardast blockbuster film banegi.
Likhte Rahiye.."

Ajeet bhaiya. Ekdum sahi kaha aapne.

him ने कहा…

ha ha ha ! maza aaya

प्रशांत मलिक ने कहा…

dono kahani achhi lagi

Zindagi live.... ने कहा…

vivek jitne bhole dikhte ho utne ho nahi....hehe well mujhe film to acchi nahi lagi thi par hann tumhari kahani jyada acchi lagi...

Zindagi live.... ने कहा…
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